0
पेट नहीं जोश से रिक्शा खींचता है नेत्रहीन संतोष
Posted by prashant kumar
in
inspiration

मां जया देवी कहती हैं कि संतोष के पिता मोहित राम पांच साल से टीबी से पीड़ित होकर मौत से जूझ रहे हैं। उनके बीमार पड़ने पर तीन भाइयों, पांच बहनों और माता-पिता की देखभाल का भार संतोष के कंधे पर आ पड़ा। संतोष ने हिम्मत नहीं हारी। उसने छोटे भाई की मदद से परिवार की गाड़ी खींचने का अदम्य साहस दिखाया और परिवार की परवरिश में जुट गया। रोटी-कपड़ा के साथ-साथ पिता का इलाज भी संतोष के लिए चुनौती थी। उसने इसे स्वीकारा। इसमें उसने अपनी लाचारी को आड़े नहीं आने दिया। पिता को बैंक ऋण के रूप में मिले रिक्शे को दोनों भाई एक साल से चला रहे हैं।