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यह आंसू प्यार का मोती है , इसको खो नहीं सकता
Posted by prashant kumar
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poeam
कोई दीवाना कहता है , कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी को , बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसी हूँ , तू मुझसे दूर कैसा है
यह तेरा दिल समझता है , या मेरा दिल समझता है
मोहबत एक एहसासों की , पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था , कभी मीरा दीवानी है
यहाँ पर लोग कहते है , मेरी आँखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है , जो न समझे तो पानी है
समुंदर पीर का अंदर है , लेकिन रो नहीं सकता
यह आंसू प्यार का मोती है , इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को अपना तू बना लेना , मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया , वो तेरा हो नहीं सकता